MOHAN Foundation

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अनुदान क्या है

 

अनुदान – सुलभ प्रत्यारोपण

अंगदान तेजी से जीवन बचाने मे सहायता कर रहा है और बिना किसी लिंग, जाति और धार्मिक पहचान के अंगों का प्रत्यारोपण किया जा रहा है। एकजुटता और उदारता के ये कार्य जश्न मनाने के योग्य है। हालाँकि, इस प्रेरक कहानी में एक विघ्नकारी कारक भी है और वह है-

भारत में अंग प्रत्यारोपण अतिशय महंगा है।

आधुनिक चिकित्सा के इस जीवन रक्षक प्रक्रिया से बड़ी संख्या में अंग विफलता के रोगियों को लाभ नहीं हो रहा है। क्योंकि वे ट्रांसप्लांट और उसके बाद की आजीवन दवाईयाँ और चिकित्सा का वित्तीय बोझ उठाने में असमर्थ हैं और इसलिए इस विकल्प का लाभ नहीं उठा सकते हैं।

प्रत्यारोपण करने वाले बहुत कम सार्वजनिक अस्पताल हैं। वर्तमान में 95% से अधिक अंग प्रत्यारोपण, विशेष रूप से यकृत और हृदय जैसे अंगों का, केवल निजी क्षेत्र में किया जाता है, जहां लागत 20 से 25 लाख रुपये होती है। यहां तक कि अपेक्षाकृत कम जटिल गुर्दा प्रत्यारोपण की लागत भी 8 से 10 लाख रुपये रहती है।

राज्य सरकारों को प्रत्यारोपण को सस्ता बनाने और प्रत्यारोपण के बाद की आजीवन दवा, इत्यादि के लिये रोगियों की मदद के लिये काम करना चाहिये। तब तक, एनजीओ और ऐसी संस्थाओं को, इस अंतर को पाटने के लिए आगे आने की जरूरत है।

मोहन फाउंडेशन पूरे भारत के विभिन्न राज्यों में मृतक अंग-दान दर को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहा है। हमें यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि अब हमारे प्रयास ‘अनुदान – सुलभ प्रत्यारोपण’ से आर्थिक रूप से गरीब और जरूरतमंद रोगियों को सहायता प्राप्त हो सकेगी और वे भी प्रत्यारोपण करवा सकेगें।

यह प्रयास परोपकारी व्यक्तियों, कॉरपोरेट्स और अन्य संस्थाओं की उदारता से संभव हुआ है। हम जमा निधि(कॉर्पस) में योगदान को प्रोत्साहित करते हैं, ताकि इस पहल के तहत अधिक रोगियों को सहायता दी जा सके।

सहायता

• किसी प्रियजन की स्मृति का सम्मान करने के लिए

• एक विशेष दिन मनाने के लिए

• आपका आभार प्रकट करने के लिए

• केवल जीवन का जश्न मनाने के लिए