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अंगदाता-पत्र

अंगदाता-पत्र (ऑर्गन डोनर कार्ड)

प्राकृतिक या मस्तिष्क की मृत्यु के बाद भारत में अंग दान का महान कार्य किया जा सकता है। एक जीवित व्यक्ति केवल एक किडनी या लीवर का एक हिस्सा दान कर सकता है। लेकिन मस्तिष्क-मृत्यु के बाद लगभग नौ या कुछ अंगों या ऊतकों को दान किया जा सकता है।

यदि आप अंग-दान करना चाहते हैं तो यह बहुत सरल है। इस दिशा में आपका अगला कदम एक अंग दाता कार्ड लेना हैं जो एक क्रेडिट कार्ड के आकार का है। अंग दाता कार्ड दिखा कर आप पहले अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ चर्चा करें क्योंकि मृत्यु के बाद उन्हें ही समर्थन दे कर अंग-दान करना है अन्यथा अंग-दान संभव नहीं हो पायेगा। यह किसी भी संगठन के साथ पंजीकरण करने से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी का अंत कभी भी और कहीं भी हो सकता है।

प्राकृतिक या मस्तिष्क की मृत्यु के बाद भारत में अंग दान का महान कार्य किया जा सकता है। एक जीवित व्यक्ति केवल एक किडनी या लीवर का एक हिस्सा दान कर सकता है। लेकिन मस्तिष्क-मृत्यु के बाद लगभग नौ या कुछ अंगों या ऊतकों को दान किया जा सकता है।

यदि आप अंग-दान करना चाहते हैं तो यह बहुत सरल है। इस दिशा में आपका अगला कदम एक अंग दाता कार्ड लेना हैं जो एक क्रेडिट कार्ड के आकार का है। अंग दाता कार्ड दिखा कर आप पहले अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ चर्चा करें क्योंकि मृत्यु के बाद उन्हें ही समर्थन दे कर अंग-दान करना है अन्यथा अंग-दान संभव नहीं हो पायेगा। यह किसी भी संगठन के साथ पंजीकरण करने से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी का अंत कभी भी और कहीं भी हो सकता है।

अंगदाता-पत्र क्या हैं?

जिस तरह वसीयत कर हम अपनी चल-अचल संपति के विषय में अपनी अंतिम इच्छा जाहीर करते हैं, उसी तरह अंग-दाता पत्र हमारी अंग-दान करने की इच्छा जाहीर करने का तरीका हैं।इस पत्र पर हस्ताक्षर कर के हम मृत्यु के बाद अंग-दान का प्रण लेते हैं।

मैं अंगदाता, कैसे बन सकता/सकती हूँ?

आप किसी भी अस्पताल या एन.जी.ओ के‘अंगदाता-पत्र या ड़ोनर-कार्ड़’ पर हस्ताक्षर कर के अंगदाता बन सकते हैं। अंगदाता-पत्र (ऑर्गन डोनर कार्ड)एक कानूनी दस्तावेज नहीं हैं, यह केवल मृत्यु केसमय आपकी अंग देने की इच्छा व्यक्त करता हैं। यदि इस तरह की स्थिति उत्पन्न होती हैं और आप के पास अंगदाता-पत्र होने पर भी आप के परिवार की सहमति नहीं होगी तो अंगदान नहीं होगा। इसलिये आवश्यक हैं कि आप अपनी इच्छापरिवार वालों को बताये।

क्या मैं भविष्य में अंगदान करने की अपनी सहमति को वापिस ले सकता/सकती हूँ?

हाँ, ऐसा आप किसी भी समय कर सकते हैं। आप अपना ड़ोनर कार्ड़ फाड़ दीजिये और परिवार जनों को सूचित कर दें कि आप अंगदान नहीं करना चाहते हैं।

डोनर-कार्ड के बारे में आवश्यक जानकारी:

अंगदाता-पत्र (डोनर कार्ड)एक दस्तावेज के रूप में कार्य करता है,जोमृत्यु के समय आपकी अंग देने की इच्छा व्यक्त करने में मदद करता हैं।डोनर कार्ड के बारे मेंआवश्यक जानकारी-

  • अपने पर्स या बटुए में हर समय डोनर-कार्ड अपने साथ रखें!
  • अंगदाता बनने की आपकी इच्छा के बारे में अपने करीबी रिश्तेदारों को सूचित करें,
  • यह एक आपातकालीन कार्ड के रूप में भी कार्य करता है,क्योंकि इसमें आपके आपातकालीन संपर्क का नाम,पता और फोन नं. होते है।
  • ब्रेन डैथ के समय, अंगदाता-पत्र होने से परिवार की असीम दुःख की स्थिति में भी डॉक्टरो के लिये अंगदान की चर्चा करनासरल हो जाता हैं , क्योंकि आपने अपनी अंगदान की इच्छा पहले से ही अपने परिवार को बताई हुई होती हैं।
  • अंगदान केवल मृत्यु के बाद ही हो सकता है और कोई वित्तीय पुरस्कार नहीं होता है,
  • जीवित अंगदाता कार्ड नहीं है; ध्यान रखिये इस तरह कोई जीवित दाता कार्ड भारत में नहीं हैं।

नोट:

  • मोहन फाउंडेशन डोनरकार्ड की हार्ड कॉपी पोस्ट नहीं  करेगा। एक अंगदाता, जिसने ऑनलाइन पंजीकरण किया है, वह अपने दाता-कार्ड को जमा करने के तुरंत बाद प्रिंट कर सकता है या बाद में हमारे स्वचालित पावती मेल में दिए गए लिंक का उपयोग करके प्रिंट कर सकता है।
  • यदि आप को ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करना हैं तो आप एक लिफाफे पर अपना नाम, पता और स्टैंप लगा कर निम्नलिखित पते पर हमारे कार्यालय में भेज देवें, हम आप के भेजे गये लिफाफे में आपको अंग-दाता पत्र भेज देगें।

पता:

मोहन फाउंडेशन
तीसरी मंजिल, तोषनीवाल बिल्डिंग,
267, किल्पॉक गार्डन रोड
चेन्नई –600 010
फोन: 044-26447000
मोबाईल: 94446 07000