बोर्ड ऑफ ट्रस्टी
न्यासी समिति (बोर्ड ऑफ ट्रस्टी)
मोहन फाउंडेशन का निदेशक मंडल व्यापक विविधता का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे प्रतिनिधियों से बना है जो उच्च शिक्षा प्राप्त, प्रख्यात संस्थानों, गैर-लाभकारी क्षेत्रों और समुदाय के नेता हैं। वे समुदाय की जरूरतों को पूरा किया जा सके, इस के लिये अपना महत्वपूर्ण समय, प्रतिभा और ऊर्जा का योगदान करते हैं।
डॉ. सुनील श्रॉफ – संस्थापक और प्रबंध न्यासी
मद्रास मेडिकल मिशन के वरिष्ठ सलाहकार यूरोलॉजिस्ट और ट्रांसप्लांट सर्जन
डॉ. सुनील श्रॉफ अग्रणी मूत्र रोग विशेषज्ञ, ट्रांसप्लांट सर्जन और एक सामाजिक उद्यमी हैं, जो भारत में मृतक दान और प्रत्यारोपण कार्यक्रम की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे अपने गुरु डॉ. ग्राहम वाटसन के सहयोग से यूरोलॉजी संस्थान, लंदन यूके से यूरोलॉजी में होल्मियम लेजर के अनुप्रयोग के साथ अपने अनुभव को प्रकाशित करने वाले पहले लोगों में से एक थे।
वर्तमान में वे मद्रास मेडिकल मिशन अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार यूरोलॉजिस्ट हैं। उन्होंने भारत में एचआईवी पॉजिटिव मरीज पर पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया और कोबरा के काटने से ब्रेन डेथ हुये मरीज की किडनी ट्रांसप्लांट की थी। । मोहन फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी के रूप में, वह 1997 से मस्तिष्क की मृत्यु के बाद मृतक दान की अवधारणा को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहे हैं। फाउंडेशन के माध्यम से, उन्होंने भारत में मृतक दान को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधार और कानून में संशोधन के लिए काम किया है। उन्होंने अंग वाणिज्य के खिलाफ अभियान चलाया है और उनका मानना है कि मीडिया द्वारा अंग वाणिज्य को ले कर जो व्यापक रूप से रिपोर्ट की जाती हैं, उस से सार्वजनिक धारणा और मृतक दान कार्यक्रम की स्वीकृति पर प्रतिकूल प्रभाव होता हैं। वे भारत में डॉक्टरों के बीच कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ स्वास्थ्य सेवा वितरण को अधिक कुशल, आसानी से सुलभ और सस्ती बनाने में भी सबसे आगे हैं। वह स्वास्थ्य नेटवर्क “मेडइंडिया” शुरू करने वाले पहले डॉक्टरों में से हैं और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी जनता को प्रदान करते हैं। वह मेडिकल कंप्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं। वह सार्क के नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी एंड ट्रांसप्लांटेशन सोसाइटी के अध्यक्ष हैं। वे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के लिए “आईटी – सक्षम सेवाओं” का उपयोग कर टेलीमेडिसिन सिस्टम के कार्यान्वयन की सुविधा के लिए डिजिटल सूचना के मानकीकरण की राष्ट्रीय समिति के सदस्य हैं।
स्वास्थ्य सेवा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गठित समिति, जो भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए सूचना प्रौद्योगिकी को लागू करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का काम करती हैं, उसके सदस्य है। वे दक्षिण भारत के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सीआईआई समिति के भी सदस्य है। वे भारतीय प्रत्यारोपण न्यूज़लैटर के मुख्य संपादक है, जो हर तिमाही में दुनिया भर में 2000 से अधिक प्रत्यारोपण पेशेवरों तक पहुंचता है। वे तमिलनाडु और राजस्थान राज्य में ट्रांसप्लांट प्रोग्राम स्थापित करने वाले कैडेवर बोर्ड के सलाहकार पद पर हैं।
डॉ. टी.के. पार्थसारथी
प्रो-चांसलर, श्री रामचंद्र मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट
डॉ. पार्थसारथी, श्री रामचंद्र मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी) में सर्जरी के प्रो-चांसलर और अवकाश प्राप्त प्रोफेसर, एक प्रसिद्ध चिकित्सक और चिकित्सा शिक्षाविद हैं। उन्होंने पेशेवर और सामाजिक संगठनों दोनों में अध्यक्ष, प्रधान कार्यकारी व्यवस्थापक और सचिव की क्षमता के कई पदों पर काम किया है।
उन्होंने भारत में पी.जी मेडिकल शिक्षा की निर्देशिका प्रकाशित की और कई प्रमुख चिकित्सा पत्रिकाओं के संपादक के रूप में कार्य किया। अंतर्राष्ट्रीय जरनल ऑफ गल्फ मेडिकल कॉलेज और मेडुकेटर जरनल के संपादक भी थे। पूरे भारत में स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रमों का आंकलन करने के लिए कई विश्वविद्यालयों और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के परीक्षक के रूप में उन्होने अपनी सेवायें प्रदान की। राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रक्रिया समिति, जो उत्कृष्ट संस्थानों को विकसित करने के लिए गठित की गई थी, वे उस समिति के विशेषज्ञ सलाहकार थे।
वे नेशनल अस्थमा फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक हैं। ट्रस्टी – कंज्यूमर एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, भारतीय मेडिकल एसोसिएशन शाखा, चेन्नई से उन्हे 1995 में “डॉक्टर ऑफ द ईयर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होने “उपभोक्ताओं के लिए नैदानिक चिकित्सा परीक्षण” और भारत में स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा की एक निर्देशिका – 2000 में प्रकाशित की। उन्होंने 70 से अधिक चिकित्सा लेख और अनेक अखबारों और पत्रिकाओं में स्वास्थ्य के विस्तृत विषयों पर लेख प्रकाशित किए हैं।
डॉ. जॉर्जी अब्राहम
मेडिसिन के प्रोफेसर – पीआईएमएस, कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट – एम.एम.एम हॉस्पिटल, फाउंडर ट्रस्टी – टैंकर फाउंडेशन
डॉ. जॉर्जी अब्राहम क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज अस्पताल, वेल्लोर; श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज, तिरुपति और मणिपाल विश्वविद्यालय, मणिपाल, कर्नाटक में अतिथि प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने भारत के दक्षिणी राज्यों में अपनी सेवायें प्रदान की है और यूके, कनाडा, सऊदी अरब और कुवैत में भी अनुभव प्राप्त किया है। उन्होंने अब तक 156 प्रकाशन किए, 13 पुस्तकों में योगदान दिया और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में 81 प्रस्तुतियां दी हैं।
वह पेरिटोनियल डायलिसिस सोसाइटी ऑफ इंडिया के संस्थापक अध्यक्ष हैं। वे इंडियन जर्नल ऑफ पेरिटोनियल डायलिसिस के संपादक हैं और कई पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड में भी हैं। वह टैंकर फाउंडेशन (TANKER) के संस्थापक ट्रस्टी हैं, जो सुविधा से वंचित रोगियों को रियायती हेमोडायलिसिस उपचार प्रदान करते हैं। उन्होंने केरल में टैंकर फाउंडेशन की सहयोगी संस्था ‘किडनी रिसर्च फाउंडेशन कोट्टायम’ की स्थापना की है। उन्हें नेशनल किडनी फ़ाउंडेशन, अमेरिका द्वारा “2003 में नेफ्रोलॉजी में अंतर्राष्ट्रीय विशिष्ट पदक” से सम्मानित किया गया है।
डॉ. जॉर्ज कुरियन
प्रोफेसर और एचओडी गैस्ट्रो-आंत्र चिकित्सा, पीआईएमएस (PIMS)
डॉ. जॉर्ज कुरियन एक प्रसिद्ध गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और अवकाश प्राप्त प्रोफेसर (एमिरिटस) हैं जिन्हे सीएमसी और जेआईपीएमईआर में व्यापक कार्य अनुभव हैं। वे सीएमसी के हेपेटोबिलरी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख के रूप में कोलोनोस्कोपी करने वाले पहले डॉक्टरों में से एक थे। वे भारत में मृत अंग दान को बढ़ावा देने में विशेष रुचि रखते हैं।
डॉ. के. रवींद्रनाथ
अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, ग्लोबल अस्पताल
डॉ. रवींद्रनाथ, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में एक विश्व प्रसिद्ध विशेषज्ञ और ग्लोबल हॉस्पिटल्स ग्रुप के संस्थापक हैं। डॉ. रवींद्रनाथ के दूरदर्शी नेतृत्व और मार्गदर्शन के तहत, ग्लोबल हॉस्पिटल्स ग्रुप, आंध्र प्रदेश में पहली बार लीवर, हार्ट, ट्विन किडनी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट हुआ और यह भारत में अग्रणी सर्जरी करने में प्रमुख, आला स्वास्थ्य सेवा केंद्र बन गया।
उन्होंने अपने स्वर्गीय पिता श्री शेशैय्या नायडू के नाम पर चिरमना गाँव, ऐसपेट मंडल, नेल्लोर जिले में एक हाई स्कूल का निर्माण कर समाज में योगदान दिया है। वे सुविधा से वंचित लोगों के लिए अस्पताल और हरिजनों और पिछड़े समुदायों के लिए आवास (कॉलोनियों) के विकास में भी सक्रिय है।
डॉ. गुलापल्ली एन.राव, एमडी
संस्थापक-अध्यक्ष, एल.वी.प्रसाद नेत्र संस्थान
एक शैक्षणिक नेत्र रोग विशेषज्ञ के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका में एक सफल कैरियर के बाद, डॉ. गुल्लापल्ली एन राव ने 1987 में एल. वी. प्रसाद नेत्र संस्थान की स्थापना की। डॉ. राव ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर में अपनी बुनियादी चिकित्सा शिक्षा प्राप्त की और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में नेत्र विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि प्रशिक्षण पूरा किया।
वे 1974 में संयुक्त राज्य अमेरिका गए, जहां उन्हें पहले बॉस्टन में टफ्ट्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रशिक्षित किया गया और बाद में रोचेस्टर विश्वविद्यालय, स्कूल ऑफ मेडिसिन में, जहां उन्होंने 1986 में भारत लौटने तक नैदानिक संकाय में काम किया। उनके विशेषज्ञता के क्षेत्रों में कॉर्निया से संबंधित रोग, नेत्र बैंकिंग, कॉर्निया प्रत्यारोपण, सामुदायिक नेत्र स्वास्थ्य, नेत्र देखभाल नीति और योजना शामिल हैं। उन्होंने लगभग 300 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित किये है और कई पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्डों पर सेवा देने के अलावा, कई पुस्तक अध्यायों में भी योगदान दिया है।
वह संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशिया के कई विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर थे और उन्होंने दुनिया भर में कई नामित व्याख्यान दिए। डॉ. राव को आंखों की देखभाल और सार्वजनिक स्वास्थ्य की उनकी सेवाओं के लिये कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। वे अनेक प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का नेतृत्व करते हैं और कई बोर्डो में भी हैं। वे पूर्व में अंध-निवारण अंतर्राष्ट्रीय समिती (इंटरनेशनल एजेंसी फॉर प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस-IAPB) के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी थे। वर्तमान में वे एकेडेमी ओफ्थाल्मोलोगिका इंटरनेशनलिस के अध्यक्ष हैं।
श्रीमती भावना जगवानी
श्रीमती जगवानी विभिन्न सामाजिक कार्यों में बहुत सक्रिय हैं। वह आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान (EBSR) की उपाध्यक्षा हैं। वह राज्य अंग दान और प्रत्यारोपण समिति (राजस्थान), गुर्दे साझा करने के लिए प्राधिकरण समिति, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की सदस्या हैं और साथ ही वह (पीसीपीएनडीटी) पूर्व गर्भाधान और पूर्व- प्रसव संबंधी नैदानिक तकनीकी अधिनियम (PCPNDT act) की सलाहकार समिति में भी हैं। इन सभी जिम्मेदारियों के अलावा वह 25 सालों से आभूषण डिजाइन का काम भी कर रही हैं।
अपनी तीसरे बच्चे की डिलीवरी के समय, दवा की प्रतिक्रिया के कारण उन्होने अपनी दृष्टि खो दी थी। सभी आशाओं को खोने के बाद जब उन्हे अपनी दृष्टि वापस मिली तो यह उनके और उनके परिवार के लिए एक चमत्कार से कम न था। तब से वह यह मानने लगी हैं कि परमेश्वर के प्रत्येक कार्य में एक उद्देश्य छिपा होता हैं। अपने अनुभव से प्रेरित होकर, उन्होंने राजस्थान में नेत्र बैंक के साथ सामाजिक भागीदारी में अपनी यात्रा शुरू की।
2014 में, भावना ने राजस्थान में बहुत ही चुनौतीपूर्ण मृत अंग दान और प्रत्यारोपण कार्यक्रम शुरू करने की पहल की। श्रीमति जगवानी के नेतृत्व में, एमएफजेसीएफ (MFJCF), एक गैर सरकारी संगठन स्थापित किया गया था, जिसमें जयपुर नागरिक मंच (जेसीएफ JCF) के साथ ज्ञान भागीदार के रूप में मोहन फाउंडेशन (MF) ने इस जनादेश को आगे बढ़ाया।