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श्रीमती रुक्मण अहिरवार,  कॉर्निया प्रत्यारोपण, 2 नवम्बर 2021 

 

नवंबर, 2021 में, मोहन फाउंडेशन का “अनुदान-प्रत्यारोपण को किफायती बनाना” टीम को, निरामाया चैरिटेबल से एक ईमेल प्राप्त हुआ, जिसमें ट्रस्ट, गुरुग्राम, हरियाणा श्रीमती रुक्मण अहिरवार के कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए वित्तीय सहायता का अनुरोध था।

श्रीमती रुक्मण अहिरवार, उम्र 70 वर्ष, छतरपुर, मध्य प्रदेश की एक विधवा हैं। उन्होने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया। उनके पति का 1993 में निधन हो गया था। चार बच्चों को पालने, से लेकर घर और छोटी कृषि भूमि की देखभाल, यह सब अकेले ही किया है। उनका सबसे छोटा बेटा परिवार में एकमात्र कमाने वाला , दिहाड़ी मजदूरी करता है।

वह मोतियाबिंद नामक आंख की बीमारी से पीड़ित थी। उनकी बायीं आंख में मोतियाबिंद होने के कारण गंभीर दृष्टि हानि हुई। मोतियाबिंद व्यक्ति की आंखों के ऊपर उगी हुई एक परत होती है जिससे आंख से ठीक से दिखाई नहीं देता है। इससे उनकी काम करने और स्वतंत्र होने की क्षमता प्रभावित हुई ।

श्रीमती रुक्मण की आँखों की प्रमुख जटिलताएँ जनवरी, 2021 में बायीं आंख में दर्द, जलन और धुंधली दृष्टि से शुरू हुईं। कुछ महीनों तक दवा लेने के बाद उन्हें छतरपुर, मध्य प्रदेश में एक स्थानीय नेत्र क्लिनिक में ले जाया गया। आंखों की जांच के बाद पता चला कि बायीं आंख में मोतियाबिंद नामक सिंड्रोम है और गंभीर दृष्टि हानि हुई हैं। यह सुन कर परिवार सदमे में आ गया ।

स्थानीय नेत्र चिकित्सालयों का दौरे और दवाईयों के प्रयासों के बाद भी श्रीमती रुक्मण की आँखों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआॉ। उसकी बायीं आँख की रोशनी पूरी तरह ख़त्म हो गयी थी और नेत्र-गोलक ने हिलना बंद कर दिया। उसे देखकर परिवार डर गया । उनके इलाज में परिवार पहले ही काफी पैसे खर्च कर चुका था और अब उन्होने सारी आशाएँ खो दीं।

श्रीमती रुक्मण का सबसे छोटा बेटा, जो रेवाडी में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करता है। उसे हरियाणा के गुरूग्राम में आहूजा आई एंड डेंटल इंस्टीट्यूट के बारे में जानकारी दी गई, जहाँ
सस्ता और बेहतर इलाज होता था। वह अपनी मां को गुरुग्राम ले आए और कुछ जाँचों के बाद, परिवार को, आहूजा आई और डेंटल इंस्टीट्यूट के नेत्र विशेषज्ञ द्वारा सूचित किया गया कि श्रीमती रुक्मण की आंख की हालत गंभीर होने के कारण तत्काल कॉर्निया प्रत्यारोपण करने की आवश्यकता हैं।
परिजनों ने आहूजा टीम को सूचना दी कि उन्होंने अपना सारा पैसा श्रीमती रुक्मण की आँखों के इलाज में खर्च कर दिया था और वे प्रत्यारोपण के लिए भुगतान करने में असमर्थ हैं। परिवार को आहूजा आई एंड डेंटल इंस्टीट्यूट के ट्रस्ट, निरामया चैरिटेबल ट्रस्ट के बारे में सूचना दी गई।

निरामाया टीम ने वित्तीय सहायता के लिए मोहन फाउंडेशन की अनुदान टीम से संपर्क किया और अनुदान टीम ने 20,000 रु. का योगदान दिया। श्रीमती रुक्मण का 02-11-2021 को सफलतापूर्वक कॉर्निया प्रत्यारोपण किया गया।

“ कॉर्निया प्रत्यारोपण कर के मुझे दृष्टि का उपहार मिला, उसके लिए मैं मोहन फाउंडेशन की आभारी हूं
।” -श्रीमती रुकमन अहिरवार।

“ सहायता के लिए मोहन फाउंडेशन को धन्यवाद। अब मुझे देखकर बहुत अच्छा लग रहा है कि मेरी माँ दर्द और पीड़ा से बाहर निकल गई हैं।” – सत्य प्रकाश अहिरवार, सबसे छोटा बेटा।