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सुश्री सुजाता चौगुले,  लीवर प्रत्यारोपण, 19 अप्रैल, 2021 

 

मार्च, 2, 2021, अनुदान – प्रत्यारोपण को किफायती बनाना” टीम को एक ईमेल प्राप्त हुआ, जिसमें एस्टर सीएमआई अस्पताल, बैंगलोर से 21  वर्षीय महिला के लिए वित्तीय सहायता का अनुरोध किया गया था। दक्षिण गोवा के सेलसेटे की रहने वाली सुजाता चौगुले को डिकम्पेंसेट नामक लीवर रोग (ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस) हो गया था। सुजाता एक गरीब परिवार से थी और तत्काल लीवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी, इसलिए अस्पताल ने यह निर्णय लिया प्रत्यारोपण के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करेगा।

लीवर ट्रांसप्लांट की कुल लागत से 15 लाख रु. थी, जिसमें से परिवार केवल 2 लाख रुपये का योगदान ही कर सके। बाकी राशि जुटाने के लिए प्रत्यारोपण अस्पताल के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया। एस्टर सीएमआई अस्पताल ने सुजाता के प्रत्यारोपण के लिए केटो पर क्राउड फंडिंग शुरू की। इस पर समय के साथ, उन्होंने अतिरिक्त धनराशि के लिए मोहन फाउंडेशन की अनुदान टीम से संपर्क किया।
अनुदान टीम ने सुजाता के पिता श्री सोमनाथ एन. चौगुले जो अपने गांव में एक सिविल ठेकेदार थे, संपर्क किया।  कोविड-19 के कारण उन्हें ज्यादा कुछ नहीं मिल रहा था इसलिए वे प्रत्यारोपण का खर्च नहीं उठा सकते थे। वह अपनी अल्प आय से अपने 6 सदस्यों के परिवार का बड़ी मुश्किल से भरण-पोषण कर पाते थे।

उन्होने किसी तरह अपनी बचत में से एक लाख रुपये अलग रखे थे और एक लाख रुपये परिवार के सदस्यों से उधार ले कर 2 लाख रुपये जमा कर लिये थे। परिवार के पास शेष रुपये जुटाने का कोई साधन नहीं था।  निराश पिता ने अनुदान टीम से 13 लाख देने का अनुरोध किया। अनुदान टीम ने सुजाता की बड़ी बहन सानिका चौगुले, उम्र 23 वर्ष से भी संपर्क किया। उन्होंने बताया कि सुजाता एक फाइटर हैं और उस दिन से, जब से उसने अपने लीवर की बीमारी के बारे में सुना, वह सकारात्मक और मजबूत रहीं थीं। हालाँकि, वह जानती थी कि परिवार उसके प्रत्यारोपण का खर्च वहन नहीं कर सकता था, लेकिन उसने कभी उम्मीद नहीं खोई। उसने परिवार जनों से बार-बार यही कहा “चिंता मत करो।” सब कुछ ठीक हो जाएगा। मैं मरने वाली नहीं हूं।” सानिका ने कहा कि यह उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति थी, जिसने पूरे परिवार को आशा दी।

परिवार के सदस्यों के साथ गहन चर्चा के बाद अनुदान टीम ने सुजाता के प्रत्यारोपण में सहयोग करने का निर्णय लिया । टीम ने, ‘ट्रांसप्लांट हेल्प द पूअर फाउंडेशन, प्रवीण अग्रवाल फाउंडेशन’, के साथ समन्वय किया जो अनुदान के साझेदारों में से एक हैं। मोहन फाउंडेशन ने 2.5 लाख रु. जुटाए।  इस सहयोगात्मक प्रयास के माध्यम से, सुजाता का सफलतापूर्वक लीवर प्रत्यारोपण 19 अप्रैल, 2021 को हुआ।

सुजाता एक मेहनती और दृढ़निश्चयी युवा लड़की है। वह बचपन से ही फैशन डिजाइनर बनने की महत्वाकांक्षा रखती है। सुजाता अब गृहनगर वापिस लौट आई है और धीरे-धीरे सामान्य जीवन फिर से शुरू हो रहा है। उसने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर दी है और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की आशा करती है ताकि वह परिवार की सहायता कर सके।

प्रशंसापत्र:

‘मेरे प्रति इतनी चिंता दिखाने के लिए मोहन फाउंडेशन को बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं अब आपकी कृपा से एक नया जीवन जी रही हूं’- सुजाता चौगुले

‘मैं मोहन फाउंडेशन को धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है। उनके बिना मेरी बहन का लीवर ट्रांसप्लांट संभव नहीं था। उन्होंने उसे एक नया जीवन दिया है।’- सनिका चौगुले, सुजाता की बड़ी बहन।